बुधवार, 21 मई 2014

तुम मुस्कुराते रहना

तुम्हारी यादों को सहेज रखा है ,
जिसमे तुम्हारी महक ज्यादा थी
उन गुलाबों में
जो तुम्हारी बाहें ज्यादा थी
उस शाल में,
जिसमे तुम्हारा नाम लिखा था
उस ख़त में,
जो तुम्हारे साथ गुनगुनाते थे
झूमते थे तुम्हारे गीतों पर
उन पत्तों में
जो रात भर हमारे साथ जागता था
उस चाँद में ,
सब मुस्कुराते थे तुम्हारी यादों में
अब जाने क्यूँ खामोश हैं...
सुनो
कहीं तुम उदास तो नहीं
हाँ शायद
इसीलिए मुरझा रहे हैं
गुलाब
शाल भी गर्माहट नहीं देती
ख़त भी चुप है
और पत्ते
वो तो बेजान ही हो गए हैं ,
मैं जानती हूँ
तुम ऐसा नहीं चाहोगे कभी
देखो
तुम मुस्कुराते रहना
ये भी मुस्कुराते रहेंगे
और
इनके साथ मैं भी
तुम्हारी यादों में...........

कनुप्रिया

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