मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

२०१४ स्वागत है तुम्हारा




आने वाले सुनो |
तुम मेरे लिए वो धरती हो जिस पर मेरी उम्मीदों,आशाओं,सपनो और सत्यता के फूल खिलेंगे| तुम्हारा इंतज़ार कठिन होता जा रहा है | होंठों पर मुस्कान और मन में हर्ष लिए अपनी बाहें फैलाये तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं इस विश्वास के साथ की तुम अपने साथ मेरी दुनिया, मेरे सारे संसार के लिए ढेर सारी खुशियाँ, हर माता-पिता के लिए आदर , बहिन-बेटियों के लिए सम्मान और सुरक्षित माहौल, बच्चों के लिए उज्जवल भविष्य, युवाओं के लिए सही दिशा का ज्ञान, हर एक व्यक्ति के लिए संयम, सुशासन और तुम्हारे बाद भी न जाने वाली मुस्कराहट लाओगे| पूरा भरोसा रखे हैं तुम पर कि तुम ये उम्मीदें नहीं तोड़ोगे |
                                                                                                                  तुम्हारे इंतज़ार में...............
                                                                                                                     .............मैं.......................

२०१३ अलविदा




जा रहे हो??????
तुम्हे तो जाना ही था, बहुत खुशियाँ दी हैं तुमने मुझे | जब भी अपनी खुशियों का और यादगार लम्हों का हिसाब करने बैठूंगी तुम्हारा ज़िक्र ज़रूर होगा, तुम्हें भूल पाना तो असंभव है ही लेकिन तुम याद भी बहुत आओगे | बहुत चाहा की तुम न जाओ लेकिन तुम रुक भी तो नहीं सकते| कितना मुश्किल है तुम्हें जाते हुए देखना| तुम्हारे जाने का वक़्त बस आ ही गया है , जानती हूँ कि इस ज़िंदगी में तुम दुबारा नहीं लौटोगे | गुज़रते हुए हर पल के साथ तुम्हारी यादें ताज़ा होती जा रही हैं| तुम न जाओ ये तो कहना भी व्यर्थ है क्यूंकि तुम्हें तो जाना ही था | अलविदा अलविदा अलविदा | 


                                                                                                        ......... तुम्हे विदा दे रही.............
                                                                                                        ................मैं........................ 

मंगलवार, 3 दिसंबर 2013

बिदाई

माँ मेरा नन्हा सा दिल है, इसको तू ये ठेस न दे। 
भैया को दे देना सबकुछ , मुझको तू परदेस न दे॥ 

बाबुल का प्यारा सा आँगन, अंगनाई बेरी का पेड़ । 
शाम ढले दो ख़ास सहेली , गुड्डे गुड़ियों का वो खेल॥ 

फिर क्या मुझसे भूल हुई, क्यूँ ब्याह मेरा तू करती है। 
बेटी कहीं क्यूँ पैदा होती, किसी के घर क्यूँ मरती है॥ 

माँ कहती है सुन मेरी बेटी, करना तेरी बिदाई है। 
मैंने जनम दिया है लेकिन, मेरी नहीं पराई है॥ 

मेरी गुड़िया हर बेटी का , होता यही फ़साना है। 
मैंने बाबुल का घर छोड़ा, अब तुझको भी जाना है॥ 

जा बिटिया तू साथ पीया के, सुख दुःख जो हो सह लेना। 
अपने साजन की  सुन लेना, साजन से ही कह लेना॥ 

रिश्ता तेरा मेरा क्या है, कैसी अजब पहेली है। 
तू बेटी है तू हमदम है, या तू मेरी सहेली है॥


तेरा इक इक शब्द बन उठा है सोलह सिंगार मेरा,
तेरी बातें बन जाती हैं प्रिय जीवन आधार मेरा॥ 
तुम कह  दो मैं बंजर धरती तुम  दो मैं गंगा जल,
तेरे ही हाथों में संवरा है जीवन आकार मेरा ॥